Era

Tuesday, February 3, 2015

Kalpana hun main (1990-1995)

कल्पना हूँ मैं !

यादों की ईंटों में भावों का गारा
आरज़ू की खिड़की
आशा का दरवाज़ा
यादों के फूलों का आँगन है प्यारा
और पिछवाड़े बैठी मैं
सपनो की स्वेटर बुनती बुनती हुई
 इंतज़ार करती तुम्हारा
काल क्या है?
भूत लेकर
वर्तमान में जीती
भविष्य की कल्पना हूँ मैं!

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