दोराहे
सोचती हूँ जब
मौत क्या है
तो ज़िन्दगी आ खड़ी होती है
और चलते रहने को कहती है
सोचती हूँ जब
चलना कहाँ है
तो राहें बना देती है
और राहों में
दोराहे बना देती है
सोचती हूँ जब
राह कौन सी जाऊं
तो राहें गम हो जाती हैं
सिर्फ दोराहे रह जाते हैं... ..
सोचती हूँ जब
मौत क्या है
तो ज़िन्दगी आ खड़ी होती है
और चलते रहने को कहती है
सोचती हूँ जब
चलना कहाँ है
तो राहें बना देती है
और राहों में
दोराहे बना देती है
सोचती हूँ जब
राह कौन सी जाऊं
तो राहें गम हो जाती हैं
सिर्फ दोराहे रह जाते हैं... ..
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